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इक इमारत / गुलज़ार Lyrics in Hindi
इक इमारत / गुलज़ार Lyrics in Hindi इक इमारत है सराय शायद, जो मेरे सर में बसी है. सीढ़ियाँ चढ़ते-उतरते हुए जूतों की धमक, बजती है सर में कोनों-खुदरों में खड़े लोगों की सरगोशियाँ, सुनता हूँ कभी साज़िशें, पहने हुए काले लबादे सर तक, उड़ती हैं, भूतिया महलों में उड़ा करती हैं चमगादड़ें जैसे इक […]