Tag: अनुराधा पाण्डेय
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तर्जनी की छुवन भर हुई देह में / अनुराधा पाण्डेय
तर्जनी की छुवन भर हुई देह में / अनुराधा पाण्डेय तर्जनी की छुवन भर हुई देह में, हाय! पाषाण मन यह पिघलने लगा। मौन थे सच अधर नैन वाचाल पर, राग इतने झरे, उर मचलने लगा। कुछ तुहिन कण सतत थे गिरे व्योम से, कँपकपी खिड़कियो से पसरती रही इस सघन शीत की रात में […]
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अगम्य-गम्य राह में / अनुराधा पाण्डेय
अगम्य-गम्य राह में / अनुराधा पाण्डेय अगम्य-गम्य राह में, सदा अदाह-दाह में, सुप्रीत की प्रवाह में, पंथ साथ जो गहे। गणे बबूल फूल सा, रहे निबद्ध मूल-सा, चुभे न पाँव शूल-सा, साथ-साथ जो रहे। अभिन्न धूप-छाँव में, न रोध प्रीत पाँव में, अनंत अग्नि ठाँव में, संग-संग जो दहे। अगाध तीव्र धार में, गणे न […]
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कोरोना ने दे दिया / अनुराधा पाण्डेय
कोरोना ने दे दिया / अनुराधा पाण्डेय कोरोना ने दे दिया, घर में ही वनवास। अच्छे दिन की आस में, बीत गये त्रय मास। बीत गये त्रय मास, न कोई दिखता है हल। श्रमिक हुए बेहाल, सड़क पर निकले दल-बल। दो-दो गुरुतर भार, साथ में कैसे ढोना। एक करैला भूख, नीम दूजा कोरोना॥
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सरसों के पीले पृष्ठों पर / अनुराधा पाण्डेय
सरसों के पीले पृष्ठों पर / अनुराधा पाण्डेय सरसों के पीले पृष्ठों पर, कलियों पर, वल्लरियों पर, चूम-चूम अलिदल ने मुख से, ऋतु का नाम सुहागन लिक्खा। लगता ज्यों इक तन्वी चपला, लहराती हो पीत वसन में। जीने की उद्दाम कामना, राग जगाती हो ज्यों मन में। कानों में मृदु मलयानिल के, लगता उसने साजन […]
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वेदना भी धन्य है / अनुराधा पाण्डेय
वेदना भी धन्य है / अनुराधा पाण्डेय वेदना भी धन्य है, औ धन्य है हृद का मिलन भी। मापनी होती न इसकी, माप लें परिमाण जिसका। प्रीत होती या न होती, यह अधिक या कम न होती। देख कर प्रिय पात्र का दुख, हो न यदि विचलित कभी मन। फिर भला वह चाह कैसी, आँख […]
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अगम्य छंद जो लगा / अनुराधा पाण्डेय
अगम्य छंद जो लगा / अनुराधा पाण्डेय अगम्य छंद जो लगा, प्रदोष चित्त हो पगा, सुबोध जो नहीं जगा, लेखनी अशुद्ध हो। कुहेलिका विछिन्न हो, प्रबोध भिन्न-भिन्न हो, सु-छंद जो अभिन्न हो, काव्यिका विशुद्ध हो। उपत्यका तभी चढ़े, सु-शब्द मूर्त जो गढ़े, सु-चित्र ही दिखे पढ़े, भाविका निरुद्ध हो। सुकाव्य प्रेरणा बने, सुबोध सार हों […]
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मादक उड़े अमंद / अनुराधा पाण्डेय
मादक उड़े अमंद / अनुराधा पाण्डेय मादक उड़े अमंद, कसो प्रिय भुजबंध। जीवन मृदुल छंद, प्रीत बरसात है। चतकत अंग अंग, वारि भी लगे हैं भंग, ज्ञात नहीँ मैं अनंग, दिन है कि रात है। बैठ चलें पास-पास कहती उद्विग्न प्यास, पूर्ण करो उर आस, देख पीत गात है, सहज सहेज क्षण, रोम-रोम प्राण धन, […]
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अरुण अधर पर / अनुराधा पाण्डेय
अरुण अधर पर / अनुराधा पाण्डेय अरुण अधर पर, मुरली मधुर धर, चित्त चित्तचोर तुम, चित्त को चुराय हौं। श्याम घन सम तन, मोरे कान्हा प्राण धन, नैन के ही पंथ धर, उर में समाय हौं। बसते हो कण-कण, ठौर-ठौर मधुवन, किन्तु देखूँ जब तुम्हें, मोहे भरमाय हौं। तन मन वार जब, तुम्हें उर धार […]
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गोरे-गोरे गाल पर / अनुराधा पाण्डेय
गोरे-गोरे गाल पर / अनुराधा पाण्डेय गोरे-गोरे गाल पर, कोटि टका तिल कार। छिटके फूलों-सी हँसी, हृदय उठे झनकार। हृदय उठे झनकार, बाँह पकडूं तो कैसे। नैनों से फुफकार, करे नागिन के जैसे। उसने कितने दाँत, सुनो! मजनूँ के तोड़े। नहीं चाहिए यार! गाल भी इतने गोरे।
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कहाँ चलें अरी! लभे / अनुराधा पाण्डेय
कहाँ चलें अरी! लभे / अनुराधा पाण्डेय कहाँ चलें अरी! लभे, न शूल पाँव में चुभे, अभंग प्रीत में निभे, राग रास रंग हो। मिले प्रिये! अभी-अभी, प्रभा न शेष हो कभी, प्रबोध हो दिखो तभी, वेदना न संग हो। चले अबाध अर्चना, सु प्रेम की उपासना, घुले न भूल वासना, साधना अभंग हो। रहें […]