Tag: अनुज लुगुन
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महुवे चुनता हूँ / अनुज लुगुन
महुवे चुनता हूँ / अनुज लुगुन सुनो…! चलो चलें हाट कुछ महुआ बेच आएँ तेल नमक का खर्चा नहीं है मदाईत वालों के लिए हँड़िया की भी तो व्यवस्था करनी होगी तुम दऊरी भर लो मैं बहिंगा ठीक करता हूँ ओह…! नाराज क्यों होती हो सूखे महुवे की तरह मुँह बना रही हो…? जब हमने […]
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तुम्हारे जन्मदिन के लिए / अनुज लुगुन
तुम्हारे जन्मदिन के लिए / अनुज लुगुन मुझे लगता है यह धरती आज और हरी हुई है तुम्हारे स्वेटर की तरह थोड़ा और गरम भी बर्फीले तूफान के थमने का यह संकेत है एक चिड़ी के जन्म होने से हर बार जीवित होता है एक सपना और एक उम्मीद अँधेरे सिरे से अँधेरे सिरे तक […]
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गंगाराम कलुण्डिया (देशान्तरण) / अनुज लुगुन
गंगाराम कलुण्डिया (देशान्तरण) / अनुज लुगुन गंगाराम ! तुम कहाँ मरने वाले थे पुलिस की गोली से ? तुम्हें तो मृत्यु ने ले लिया था आकस्मिक अपनी गोद में जिसके सामने हर कोई मौन है मगर तुम सदैव इस मौन से अजेय संवाद करते रहे तुम्हारा अजेय संवाद आज भी बहस करता है उनके गिरेबान से जब […]
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एक कविता सहारनपुर / अनुज लुगुन
एक कविता सहारनपुर / अनुज लुगुन जिन्हें पेड़ होना था वे आतताई हुए जिन्हें छाँव होना था वे बंजर हुए और जो दलित हुए उन्हें गुठलियों की तरह रोपा जाता रहा संसदीय खेत में मजदूरी अब विषय नहीं जाति का उत्सव है अब हत्याओं की होड़ कारीगरी है मरे हुए तालाब में लाशें नहीं विचारधाराएँ […]
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गंगाराम कलुण्डिया (देश) / अनुज लुगुन
गंगाराम कलुण्डिया (देश) / अनुज लुगुन गंगाराम कलुण्डिया भारतीय सेना के देशभक्त सैनिक थे। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उन्होंने लड़ाई लड़ी और राष्ट्रपति द्वारा वीरता पुरस्कार से सम्मानित भी हुए। तत्पश्चात् सूबेदार होकर सेवानिवृत्त हुए। अपने क्षेत्र पं० सिंहभूम के कोल्हान में खरकई नदी में सरकार की ईचा बाँध परियोजना से विस्थापित हो रहे […]
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मेरा पुनर्जन्म नहीं होगा / अनुज लुगुन
मेरा पुनर्जन्म नहीं होगा / अनुज लुगुन अन्धेरी रात के आधे पहर जब हवा अपने तेज़ झोंकों से पेड़ों को डरा रही थी फकइर की फें-फें जंगल की पगडण्डियों को और डरावना बना रही थी पूँछ वाले चमगादड़ साल के पेड़ों को खरोंच-खरोंच कर घायल कर रहे थे तब नन्हें कदमों से मैंने दस्तक दी […]
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उनकी क़ब्र पर जाते हुए / अनुज लुगुन
उनकी क़ब्र पर जाते हुए / अनुज लुगुन (शहीद विलियम लुगुन को याद करते हुए) बहुत नम हैं पेड़ों की पत्तियाँ हवा भी गीली हो रही है बरस जाना चाहते हैं सभी ख़ुद को नए आकार में ढालने के लिए सखुआ और करम के चेहरे पर सार है सदियों से संचित गुस्से का यहाँ पैरों […]
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सअनंत प्रेम / अनुज लुगुन
सअनंत प्रेम / अनुज लुगुन मेरी बाँहें आसमान को समेटे हुए हैं मेरा जिस्म जमीन में गहराई से धँसा है मुझसे लिपटी हुई हैं नदी, पहाड़ और पेड़ की शाखें मृत्यु से पहले तक अनंत की संभावनाओं के पार मैंने असीम प्रेम किया है, अपनी भाषा की तमाम संज्ञाओं के सामने हारते हुए अंततः मैंने […]
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ससन दिरी / अनुज लुगुन
ससन दिरी / अनुज लुगुन इन मृत पत्थरों पर जीवित हैं हमारी सैकड़ों पुश्तों की विरासत लेकिन सरकारी पट्टों पर इनका कुछ पता नहीं है ये हमारे घर हैं और इस तरह हम बेघर हैं सरकारी पट्टों पर, हमारी विरासत पर दखल हुई सरकारी पट्टों की एक बार फिर हम लड़े अपनी तदाद से हथियार […]
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सबसे बड़ा आश्चर्य / अनुज लुगुन
सबसे बड़ा आश्चर्य / अनुज लुगुन सबसे बड़ा आश्चर्य वह नहीं जिसे हम देखना चाहते हों और देख नहीं पाते जैसे देश के सबसे पिछड़े क्षेत्र में बैठकर देखना चाहते हों ताजमहल या एफिल टावर। सबसे बड़ा आश्चर्य वह नहीं जो अंतरिक्ष से भी दीख पड़े तिनके की तरह ही सही जैसे दिखाई पड़ती है […]