Tag: अनिल करमेले
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डायरी / अनिल करमेले
डायरी / अनिल करमेले अल्हड़ और मस्ती भरे दिन दर्ज़ हैं इस डायरी में इसी में पढ़ने का टाइमटेबल छोटे होटलों धर्मशालाओं और रिश्तेदारों के पते प्रेम के दिनों के मुलायम वाक्य और दुखी दिनों के उदास पैराग्राफ बरसों इसी डायरी में जगह बनाते रहे इसी में दर्ज़ हुई लाल स्याही से कई तारीखें वे […]
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इनर ग्राउंड / अनिल करमेले
इनर ग्राउंड / अनिल करमेले जून में इनर ग्राउंड कैसा दीखता हेागा इसकी कल्पना बहुत मुश्किल थी अप्रैल की आख़िरी तारीख़ को मिले परीक्षाफल की खुशी को समेटे हम दो महीने बाक़ी दस महीनों को भुला देना चाहते थे मई और जून में कई मौके आते जब जाया जा सकता था शहर हम कभी शहर […]
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छिन्दवाड़ा-4 / अनिल करमेले
छिन्दवाड़ा-4 / अनिल करमेले जहाँ कभी घास बाज़ार था और टोकनी में फल बैठती थीं फलवालियाँ जिला अस्पताल, बैल बाजार, नागपुर नाका, चक्कर रोड, फव्वारा चौक, सी०एम० काम्प्लेक्स जहाँ मजे से सायकल लेकर टहला जा सकता था अब सड़क दर सड़क पटी पड़ी हैं दूकानों से और बुछे चेहरों से ग्राहकों का इंतज़ार करते दूकानदार […]
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ज़िद के बारे में / अनिल करमेले
ज़िद के बारे में / अनिल करमेले ज़िद के बारे में जानकारों की राय है यह ख़राब शै है ऐसी न छूटे तो तोड़ देती है बाक़ी ज़रूरी चीज़ों को और अक्सर ज़िद्दी आदमी को भी इसलिए कोशिश रहती है ज़िदें तोड़ दी जाएँ बचपन से ही मुकम्मिल ज़िद बनने से पेश्तर बहुत हुआ तो […]
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प्रेम पर कुछ बेतरतीब कविताएँ-5 / अनिल करमेले
प्रेम पर कुछ बेतरतीब कविताएँ-5 / अनिल करमेले शायद इसी समय के लिए संचित हुए थे मेरे आँसू दुख की परतें भी जम रही थीं इसी वर्तमान के लिए शायद इसी दिन तक के लिए जीना था मुझे यह जीवन हाँ इसी तरह टूट जाने के लिए।
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बाकी बचे कुछ लोग / अनिल करमेले
बाकी बचे कुछ लोग / अनिल करमेले सब कुछ पा कर भी उसका मन बेचैन रहता है हर तरफ अपनी जयघोष के बावज़ूद वह जानता है कुछ लोगों को अभी तक जीता नहीं जा सका कुछ लोग अभी भी सिर उठाए उसके सामने खड़े हैं कुछ लोग अभी भी रखते हैं उसकी आँखों में आँखें […]
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प्रेम पर कुछ बेतरतीब कविताएँ-3 / अनिल करमेले
प्रेम पर कुछ बेतरतीब कविताएँ-3 / अनिल करमेले मैं कैसे कहूँ चुप रहूँ तुम्हारे लिए फिर भी कहूँ तुम नहीं तो कुछ भी नहीं है मेरे पास बस तुम ही रहतीं कुछ और कब चाहिए था मैं कैसे कहूँ कि तुम सुन लो और यकीन कर लो।
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उनकी भाषा / अनिल करमेले
उनकी भाषा / अनिल करमेले वे एक ऐसी भाषा का उपयोग करते हैं कि हम अक्सर असमर्थ हो जाते हैं उनकी नीयत का पता लगाने में हम भरोसे में रहते हैं और भरोसा धीरे-धीरे भ्रम में बदलता जाता है जब छँटता है दिमाग से कोहरा नींद छूटती है सपनों के आगोश से आँखें जलने लगती […]