Tag: अनिरुद्ध सिन्हा

  • गुज़रे दिनों / अनिरुद्ध सिन्हा

    गुज़रे दिनों / अनिरुद्ध सिन्हा गुज़रे दिनों की एक मुकम्मल क़िताब हूँ पन्ने पलट के देखिए मैं इंकलाब हूँ मुमकिन पतों के बाद भी पहुँचे न जो कभी वैसे ख़तों का लौट के आया जवाब हूँ ऐसा लगा कि झूठ भी सच बोलने लगा पीकर न होश में रहे, मैं वो शराब हूँ हद से […]

  • इस दौर में जीना कोई आसान नहीं है / अनिरुद्ध सिन्हा

    इस दौर में जीना कोई आसान नहीं है / अनिरुद्ध सिन्हा इस दौर में जीना कोई आसान नहीं है है कौन वो जो आज परेशान नहीं है ये जीत कभी हार में तब्दील भी होगी कोई भी यहाँ वक़्त का सुल्तान नहीं है उस बात को कहने की मनाही है सदन में जिस बात में […]

  • साथ चलते हैं काँपते साए / अनिरुद्ध सिन्हा

    साथ चलते हैं काँपते साए / अनिरुद्ध सिन्हा साथ चलते हैं काँपते साये ऐसे रिश्तों को क्या कहा जाए टूट जाने दो उस खिलौने को बेहिसी के करीब जो आए फिक्र, सपने, सुकूँ, कसम, वादे मेरे हिस्से में आप क्या लाए मफ़लिसी के अजीब हाथों से सच का दामन पकड़ नहीं पाए जिस्म महफूज हैं, […]

  • मजबूरियाँ के खौफ़ / अनिरुद्ध सिन्हा

    मजबूरियाँ के खौफ़ / अनिरुद्ध सिन्हा मजबूरियाँ के खौफ़ को समझा नहीं गया चेहरा मेरा था, आईना देखा नहीं गया जो फिर तमाम रास्ते भटकाव में रहा वैसे सफ़र के बारे में सोचा नहीं गया क़ातिल बना दिया मुझे, साबित हुए बिना सच क्या है और झूठ क्या रक्खा नहीं गया मौसम की तेज़ धूप […]

  • सर्दी की तेज़ लू में / अनिरुद्ध सिन्हा

    सर्दी की तेज़ लू में / अनिरुद्ध सिन्हा सदी की तेज़ लू में भी हमें जीने का ग़म होगा तुम्हारे हाथ का पत्थर वफ़ादारी में कम होगा समझ लेने की कोशिश में यही हर बार तो होगा किसी बच्चे के रोने का अकेले में वहम होगा ये माना रोज़ मेरी ख़्वाहिशें लेती हैं अंगड़ाई ग़मों […]

  • निकल न पाया कभी उसके दिल से डर मेरा / अनिरुद्ध सिन्हा

    निकल न पाया कभी उसके दिल से डर मेरा / अनिरुद्ध सिन्हा निकल न पाया कभी उसके दिल से डर मेरा इसीलिए तो जलाया है उसने घर मेरा तमाम रात जो तुम बेखुदी में रहते हो तुम्हारे दिल पे है शायद अभी असर मेरा मैं उस गली में अकेला था इसलिए शायद हवाएँ करती रहीं […]

  • मंज़िल न मिल सकी कोई रस्ता न मिल सका / अनिरुद्ध सिन्हा

    मंज़िल न मिल सकी कोई रस्ता न मिल सका / अनिरुद्ध सिन्हा मंज़िल न मिल सकी कोई रस्ता न मिल सका अंधे को आइने का सहारा न मिल सका पत्थर के तेरे शहर में रुकते भी हम कहाँ वो धूप थी कि पेड़ का साया न मिल सका हैरान है वो घर की अदावत को […]

  • जो आँसू पीके हँसना जानता है / अनिरुद्ध सिन्हा

    जो आँसू पीके हँसना जानता है / अनिरुद्ध सिन्हा जो आँसू पीके हँसना जानता है मुहब्बत को वही पहचानता है पड़े हैं पाँव में जिसके भी छाले सफ़र की वो हक़ीक़त जानता है भरम कल टूट जाएगा तुम्हारा फ़रिश्ता कौन किसको मानता है वो किसकी याद लेकर बस्तियों में गली की ख़ाक हर दिन छानता […]

  • तहों में दलदल सतह पे साज़िश धुआँ-धुआँ-सा हरेक घर है / अनिरुद्ध सिन्हा

    तहों में दलदल सतह पे साज़िश धुआँ-धुआँ-सा हरेक घर है / अनिरुद्ध सिन्हा तहों में दलदल सतह पे साज़िश धुआँ-धुआँ-सा हरेक घर है झुकी हुई है हमारी गर्दन घरों में रह के भी दिल में डर है हताहतों से लिपट गए हैं अलग-अलग ये तमाम चेहरे उदास मौसम उदास दुनिया उदासियों में डगर-डगर है कहाँ […]

  • जो हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ / अनिरुद्ध सिन्हा

    जो हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ / अनिरुद्ध सिन्हा जो हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ उसका यूँ दिल तोड़ना अच्छा हुआ डर यही था वो न सच ही बोल दे आइने का टूटना अच्छा हुआ किस क़दर रंगीं हुई ये ज़िन्दगी आपसे मिलना मेरा अच्छा हुआ रात भर उनके खयाल आते रहे रात भर का […]