Category: अरविन्द भारती

  • डर / अरविन्द भारती

    डर / अरविन्द भारती मुझे सिखाया गया गुरु ईश्वर से बड़ा फिर पढ़ाया गया एकलव्य का पाठ मेरे इर्दगिर्द अर्जुन थे कई गुरु द्रोणाचार्य से महान मै छोटा था बहुत डर मेरे स्मृतिपटल पर अंकित हो गया मैंने अर्जुन को कभी चुनौती नहीं दी मेरा अंगूठा सलामत रहा मैंने संकल्प लिया गुरु बनूंगा द्रोणाचार्य नही […]

  • मुर्दे / अरविन्द भारती

    मुर्दे / अरविन्द भारती बारूद की गंध कारतूस के खोखे टूटी चप्पलें टूटे चूल्हे सुलगते घर चूड़ियों के टुकड़े सिसकती आहें मंडराते गिद्ध उल्लुओं की बैठक गीदड़ों की फ़ौज मजबूर पिता बेबस माँ लाचार प्रशासन पेड़ पर लटकती लाश मोहब्बत की सभ्यता, संस्कृति का ढ़ोल पीटते नाचते गाते मुर्दे।

  • फूट रही है कोंपलें / अरविन्द भारती

    फूट रही है कोंपलें / अरविन्द भारती मुर्दा जिस्मों में हो रही हरकतें घायल चेहरे गा रहे गीत नदियों ने कर दी बग़ावत समुंद्र में मची है खलबली अभी अभी अंधेरों ने देखा है दिया रात की आँखों में खौफ की रेखा है एक झोंका ताज़ा हवा का फैला है फिजाओं में बंजर जमीन पे […]

  • जाति का नाग / अरविन्द भारती

    जाति का नाग / अरविन्द भारती मानवता का पाठ पिता ने उसे पढ़ाया पर स्कूल के फॉर्म में हिन्दू मुस्लिम का कॉलम आया फिर जाति का नाग धीरे से फुस्कारते हुए मुस्कुराया हैरान परेशान पिता ने अपना फ़र्ज़ निभाया पहले दिन मैडम ने उसको पाठ पढ़ाया वो हिन्दू है राज ये उसको बतलाया एक दिन […]