Category: अटल बिहारी वाजपेयी

  • झुक नहीं सकते / अटल बिहारी वाजपेयी

    झुक नहीं सकते / अटल बिहारी वाजपेयी टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते सत्य का संघर्ष सत्ता से न्याय लड़ता निरंकुशता से अंधेरे ने दी चुनौती है किरण अंतिम अस्त होती है दीप निष्ठा का लिये निष्कंप वज्र टूटे या उठे भूकंप यह बराबर का नहीं है युद्ध हम निहत्थे, शत्रु है सन्नद्ध […]

  • मनाली मत जइयो / अटल बिहारी वाजपेयी

    मनाली मत जइयो / अटल बिहारी वाजपेयी मनाली मत जइयो, गोरी राजा के राज में। जइयो तो जइयो, उड़िके मत जइयो, अधर में लटकीहौ, वायुदूत के जहाज़ में। जइयो तो जइयो, सन्देसा न पइयो, टेलिफोन बिगड़े हैं, मिर्धा महाराज में। जइयो तो जइयो, मशाल ले के जइयो, बिजुरी भइ बैरिन अंधेरिया रात में। जइयो तो […]

  • जीवन की ढलने लगी साँझ / अटल बिहारी वाजपेयी

    जीवन की ढलने लगी साँझ / अटल बिहारी वाजपेयी जीवन की ढलने लगी सांझ उमर घट गई डगर कट गई जीवन की ढलने लगी सांझ। बदले हैं अर्थ शब्द हुए व्यर्थ शान्ति बिना खुशियाँ हैं बांझ। सपनों में मीत बिखरा संगीत ठिठक रहे पांव और झिझक रही झांझ। जीवन की ढलने लगी सांझ।

  • जो बरसों तक सड़े जेल में / अटल बिहारी वाजपेयी

    जो बरसों तक सड़े जेल में / अटल बिहारी वाजपेयी जो बरसों तक सड़े जेल में, उनकी याद करें। जो फाँसी पर चढ़े खेल में, उनकी याद करें। याद करें काला पानी को, अंग्रेजों की मनमानी को, कोल्हू में जुट तेल पेरते, सावरकर से बलिदानी को। याद करें बहरे शासन को, बम से थर्राते आसन […]

  • पड़ोसी से / अटल बिहारी वाजपेयी

    पड़ोसी से / अटल बिहारी वाजपेयी एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते, पर स्वतन्त्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा। अगणित बलिदानो से अर्जित यह स्वतन्त्रता, अश्रु स्वेद शोणित से सिंचित यह स्वतन्त्रता। त्याग तेज तपबल से रक्षित यह स्वतन्त्रता, दु:खी मनुजता के हित अर्पित यह स्वतन्त्रता। इसे मिटाने की साजिश करने वालों से कह […]

  • दो अनुभूतियाँ / अटल बिहारी वाजपेयी

    दो अनुभूतियाँ / अटल बिहारी वाजपेयी पहली अनुभूति: गीत नहीं गाता हूँ बेनक़ाब चेहरे हैं, दाग़ बड़े गहरे हैं टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूँ गीत नहीं गाता हूँ लगी कुछ ऐसी नज़र बिखरा शीशे सा शहर अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूँ गीत नहीं गाता हूँ पीठ मे छुरी सा […]

  • अपने ही मन से कुछ बोलें / अटल बिहारी वाजपेयी

    अपने ही मन से कुछ बोलें / अटल बिहारी वाजपेयी क्या खोया, क्या पाया जग में मिलते और बिछुड़ते मग में मुझे किसी से नहीं शिकायत यद्यपि छला गया पग-पग में एक दृष्टि बीती पर डालें, यादों की पोटली टटोलें! पृथ्वी लाखों वर्ष पुरानी जीवन एक अनन्त कहानी पर तन की अपनी सीमाएँ यद्यपि सौ […]

  • मैं न चुप हूँ न गाता हूँ / अटल बिहारी वाजपेयी

    मैं न चुप हूँ न गाता हूँ / अटल बिहारी वाजपेयी न मैं चुप हूँ न गाता हूँ सवेरा है मगर पूरब दिशा में घिर रहे बादल रूई से धुंधलके में मील के पत्थर पड़े घायल ठिठके पाँव ओझल गाँव जड़ता है न गतिमयता स्वयं को दूसरों की दृष्टि से मैं देख पाता हूं न […]

  • दुनिया का इतिहास पूछता / अटल बिहारी वाजपेयी

    दुनिया का इतिहास पूछता / अटल बिहारी वाजपेयी दुनिया का इतिहास पूछता, रोम कहाँ, यूनान कहाँ? घर-घर में शुभ अग्नि जलाता। वह उन्नत ईरान कहाँ है? दीप बुझे पश्चिमी गगन के, व्याप्त हुआ बर्बर अंधियारा, किन्तु चीर कर तम की छाती, चमका हिन्दुस्तान हमारा। शत-शत आघातों को सहकर, जीवित हिन्दुस्तान हमारा। जग के मस्तक पर […]

  • क़दम मिला कर चलना होगा / अटल बिहारी वाजपेयी

    क़दम मिला कर चलना होगा / अटल बिहारी वाजपेयी बाधाएँ आती हैं आएँ घिरें प्रलय की घोर घटाएँ, पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ, निज हाथों में हँसते-हँसते, आग लगाकर जलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में, अगर असंख्यक बलिदानों में, उद्यानों में, वीरानों में, अपमानों में, सम्मानों में, […]