हमें पेड़ों की पोशाकों से इतनी-सी ख़बर तो मिल ही जाती है / गुलज़ार Lyrics in Hindi
हमें पेड़ों की पोशाकों से इतनी सी ख़बर तो मिल ही जाती है
बदलने वाला है मौसम…
नये आवेज़े कानों में लटकते देख कर कोयल ख़बर देती है
बारी आम की आई…!
कि बस अब मौसम-ऐ-गर्मा शुरू होगा
सभी पत्ते गिरा के गुल मोहर जब नंगा हो जाता है गर्मी में
तो ज़र्द-ओ-सुर्ख़, सब्ज़े पर छपी, पोशाक की तैयारी करता है
पता चलता है कि बादल की आमद है!
पहाड़ों से पिघलती बर्फ़ बहती है धुलाने पैर ‘पाइन’ के
हवाएँ झाड़ के पत्ते उन्हें चमकाने लगती हैं
मगर जब रेंगने लगती है इन्सानों की बस्ती
हरी पगडन्डियों के पाँव जब बाहर निकलते हैं
समझ जाते हैं सारे पेड़, अब कटने की बारी आ रही है
यही बस आख़िरी मौसम है जीने का, इसे जी लो !
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