बर्फ़ पिघलेगी जब पहाड़ों से / गुलज़ार Lyrics in Hindi

बर्फ़ पिघलेगी जब पहाड़ों से / गुलज़ार Lyrics in Hindi

बर्फ़ पिघलेगी जब पहाड़ों से
और वादी से कोहरा सिमटेगा
बीज अंगड़ाई लेके जागेंगे
अपनी अलसाई आँखें खोलेंगे
सब्ज़ा बह निकलेगा ढलानों पर

गौर से देखना बहारों में
पिछले मौसम के भी निशाँ होंगे
कोंपलों की उदास आँखों में
आँसुओं की नमी बची होगी।

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