हर इक धड़कन अजब आहट / अब्दुल अहद ‘साज़’
हर इक धड़कन अजब आहट
परिन्दों जैसी घबराहट
मिरे लहजे में शीरीनी
मिरी आँखों में कड़वाहट
मिरी पहचान है शायद
मिरे हिस्से की उकताहट
सिमटता शेर हैअत में
बदन की सी ये गदराहट
मिस्र मैं फ़न मिरा ज़िद पर
ये बालक हट वो तिर्याहट
उजाले डस न लें इस को
बचा रक्खो ये धुन्दलाहट
लहू की सीढ़ियों पर है
कोई बढ़ती हुई आहट
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