ख़ुशबू का सफ़र / फ़राज़

ख़ुशबू का सफ़र / फ़राज़
ख़ुशबू का सफ़र[1]

छोड़ पैमाने-वफ़ा[2]की बात शर्मिंदा [3]न कर
दूरियाँ ,मजबूरियाँ[4],रुस्वाइयाँ[5], तन्हाइयाँ[6]
कोई क़ातिल ,[7]कोई बिस्मिल, [8]सिसकियाँ, शहनाइयाँ
देख ये हँसता हुआ मौसिम है मौज़ू-ए-नज़र[9]

वक़्त की रौ में अभी साहिल[10]अभी मौजे-फ़ना[11]
एक झोंका एक आँधी,इक किरन , इक जू-ए-ख़ूँ[12]
फिर वही सहरा का सन्नाटा, वही मर्गे-जुनूँ[13]
हाथ हाथों का असासा[14],हाथ हाथों से जुदा[15]

जब कभी आएगा हमपर भी जुदाई का समाँ
टूट जाएगा मिरे दिल में किसी ख़्वाहिश[16]का तीर
भीग जाएगी तिरी आँखों में काजल की लकीर
कल के अंदेशों[17]से अपने दिल को आज़ुर्दा [18]न कर
देख ये हँसता हुआ मौसिम, ये ख़ुशबू का सफ़र

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