पलटना मत कभी ये दिन बड़ी मुश्किल से मिलता है / अशोक रावत
पलटना मत कभी ये दिन बड़ी मुश्किल से मिलता है,
हदें सब टूट जाती हैं कोई जब दिल से मिलता है.
खुदा ही नाखुदा होता है हर तूफान में जिसका,
सफ़ीना उसका इक दिन शर्तिया साहिल से मिलता है.
मुझे लगती है दुनिया की हर इक दौलत बहुत छोटी,
मेरी ग़ज़लों को इतना हौसला महफिल से मिलता है.
बहुत से लोग मिलते हैं, यूँ मिलने को तो दुनिया में,
मगर इक चाहने वाला बड़ी मुश्किल से मिलता है.
सियासत में भरोसा हम करें भी तो करें किस पर,
यहाँ हर शख्स का चेहरा किसी क़ातिल से मिलता है.
कोई कुछ भी कहे लेकिन मेरी उम्मीद का चेहरा,
कभी गांधी से मिलता है कभी बिस्मिल से मिलता है.
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