छोरी भई सयानी भैया घबरावें / अशोक अंजुम

छोरी भई सयानी भैया घबरावें / अशोक अंजुम
छोरी भई सयानी भैया घबरावेंं
कैसे बने कहानी भैया घबरावेंं

सूखा परिगऔ अबकेँ कैसे बात बने
धान माँगते पानी भैया घबरावेंं

ठाकुर जी धमकावे करजा लौटाओ
वरना भुगतो हानी भैया घबरावेंं

बैल सूखि कैं काँटो है रए, कहा करेंं
मिलै न चारो – पानी भैया घबरावेंं

छोरा निकरे महानिकम्मे दोनों ई
बिदकें देख जनानी भैया घबरावेंं

गाल बजाबें नेता सिगरे आ-आ केँ
रोबै कुतिया कानी भैया घबरावेंं

खेत रखोयै गिरवी वो पुरखन बारो
बिक ना जाय निसानी भैया घबरावेंं

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