माँ की याद बहुत आती है / अशेष श्रीवास्तव

माँ की याद बहुत आती है / अशेष श्रीवास्तव
माँ की याद बहुत आती है
माँ की याद बहुत आती है…

यूँ तो बहुत रिश्ते हैं जगत में
माँ जैसा कोई रिश्ता नहीं है
खुद के लिये नहीं वह जीती
बच्चों की खातिर वह जीती
माँ की याद बहुत आती है
माँ की याद बहुत आती है…

उम्र भले कितनी हो जाए
हम कितने ही बङे हो जाएँ
जब भी कोई चोट लग जाए
जब भी कोई बीमारी आए
माँ की बहुत याद आती है
माँ की याद बहुत आती है…

उसका सर पर हाथ फिराना
उसका प्यार से गले लगाना
क्या जाने क्या जादू होना
रूह को बहुत तसल्ली होना
माँ की याद बहुत आती है
माँ की बहुत याद आती है…

जब तक सब कुछ अच्छा चलता
माँ की याद नहीं मैं करता
जब जब कोई संकट आए
दुख में जब सब छोड़ के जाएँ
माँ की याद बहुत आती है
माँ की बहुत याद आती है…

जब जब घर में देर से आऊँ
और यूँ ही भूखा सो जाऊँ
जब सब मुझसे करें लड़ाई
मेरे पीछे करें बुराई
माँ की याद बहुत आती है
माँ की बहुत याद आती है…

मेरा दोष नहीं होने पर
जब सब मुझको दोष़ी समझें
जब सब कुछ करने पर भी तो
काम का श्रेय मिले न मुझको
माँ की याद बहुत आती है
माँ की बहुत याद आती है…

जब जब मैं असफल हो जाऊँ
जीवन से निराश हो जाऊँ
जब जब अंधियारे में जाऊँ
कोई राह नहीं मैं पाऊँ
माँ की याद बहुत आती है
माँ की बहुत याद आती है…

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