दिल्ली – दो / अर्पण कुमार

दिल्ली – दो / अर्पण कुमार
मैं चाहता हूँ
दिल्ली में
कुछ दिनों के लिए
‘ब्लैक-आउट’ हो जाए

मैं देखना चाहता हूँ
जगमगाते उजालों के बावजूद
अपराध-राजधानी बना
यह शहर
सचमुच के अँधेरे में
क्या गुल खिलाता है !

रोशनी में जो दिखता है
वह हमें अक्सरहाँ
चकाचौंध ही करता है
…………
मैं अँधेरे में
भारत की राजधानी का
फक्क पड़ता और
सफेद होता चेहरा
देखना चाहता हूँ ।

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