अगले मौसमों के लिए अलविदा कहते हुए / अरुणा राय

अगले मौसमों के लिए अलविदा कहते हुए / अरुणा राय
सार्वजनिक तौर पर
कम ही मिलते हम
भाषा के एक छोर पर
बहुत कम बोलते हुए
अक्सर
बगलें झाँकते
भाषा के तंतुओं से
एक दूसरे को टटोलते
दूरी का व्यवहार दिखाते
 
क्षण भर को छूते नोंक भर
एक-दूसरे को और
पा जाते संपूर्ण

हमारे उसके बीच समय
एक समुद्र-सा होता
असंभव दूरियों के

स्वप्निल क्षणों में जिसे
उड़ते बादलों से
पार कर जाते हम
धीरे धीरे
 
अगले मौसमों के लिए
अलविदा कहते हुए …

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