तुम्हारे लिए / अमृता सिन्हा
इससे पहले कि
दिन कपूर-सा उड़ जाये
मैं भेजना चाहती हूँ
तुम्हें
ढेर सारे फूल
लाल पलाश के
दहकती ऊष्मा लिये
और
कुछ फूल, टेसू के
बांसती रंग में नहाये हुए।
इससे पहले कि
मुझे नींद आ जाये गहरी
सो जाऊँ, फिर कभी न उठने के लिये
मै
चूमना चाहती हूँ
तुम्हारे सूखे होंठों को
पसीने से तरबतर ललाट को
गरदन की मोटी नीली शिराओं को
जहाँ पड़े नील निशान को
तुम ढक सको, अपनी क़मीज़ की कॉलर से।
देखना चाहती हूँ करीब से
तुम्हारी क़मीज़ की ऊपरी बटन से झाँकते हुए
तुम्हारी छाती के
ख़रगोश से नन्हे बालों को।
इससे पहले कि
दफ़्न हो जायें सारी रूमानी बातें
मन की सुरंगों में
मन में उबलते, हर हर्फ़ को
रखना चाहती हूँ एक तश्तरी में
भाप निकलते गर्म मुलायम मोमोज़ की तरह
जिनकी गरमाहट और चटपटा स्वाद
बरक़रार रहे हमेशा के लिये
हमारी ज़ुबान पर।
गर्म साँसें और देह
का अलाव
जहाँ से गुज़र कर मेरे हर जज़्बात
हो जायें परिपक्व
इससे पहले कि चीन, कोरिया या पाकिस्तान
आमादा हो जायें दुनियाँ मिटाने को
परमाणु बम गिराने को,
मैं
पूरी शिद्दत से
होना चाहती हूँ जज़्ब
तुम्हारे प्यार में
क्योंकि मेरे लिए
तुम्हारा प्यार एक
अबोला सच है
एक अंतिम सत्य
जीवन का एकमात्र विकल्प।
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