ख़ुद को यकजा करता हूँ / अमन चाँदपुरी

ख़ुद को यकजा करता हूँ / अमन चाँदपुरी
ख़ुद को यकजा करता हूँ
इक मुद्दत से बिखरा हूँ

कच्चा हूँ या पक्का हूँ
तेरे घर का रस्ता हूँ

सबसे कहता रहता हूँ
उसका हूँ मैं उसका हूँ

दावेदार कई मेरे –
मैं दादी का बक्सा हूँ

सबमें होते ऐब हुनर
मैं भी सबके जैसा हूँ

लाख बुरा हूँ मैं लेकिन
तुम कह दो तो अच्छा हूँ

पहले तुम पर मरता था
अब ये सोच के हँसता हूँ

याद न आये कोई मुझे
मैं तन्हा ही अच्छा हूँ

जिस दिन से ग़म आया है
उस दिन से ख़ुश रहता हूँ

मुझको पढ़ना मुश्किल है
मैं किस्मत का लिक्खा हूँ

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