फूलों की टहनियों पे नशेमन बनाइये / अब्दुल हमीद ‘अदम’

फूलों की टहनियों पे नशेमन बनाइये / अब्दुल हमीद ‘अदम’
फूलों की टहनियों पे नशेमन बनाइये
बिजली गिरे तो जश्न-ए-चराग़ाँ मनाइये

कलियों के अंग अंग में मीठा सा दर्द है
बीमार निकहतों को ज़रा गुदगुदाइये

कब से सुलग रही है जवानी की गर्म रात
ज़ुल्फ़ें बिखेर कर मेरे पहलू में आइये

बहकी हुई सियाह घटाओं के साथ साथ
जी चाहता है शाम-ए-अबद तक तो जाइये

सुन कर जिसे हवास में ठन्डक सी आ बसे
ऐसी कोई उदास कहानी सुनाइये

रस्ते पे हर क़दम पे ख़राबात हैं ‘अदम’
ये हाल हो तो किस तरह दामन बचाइये

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *