छुटकारा / अपर्णा भटनागर
दोस्त
छुटकारा कहीं नहीं है
हम जो कभी एक दूसरे से दूर भागते हैं
इसका अर्थ यह नहीं कि कोई ओर नहीं, छोर नहीं हमारा
और हम कहीं भी भाग छूटेंगे
पृथ्वी की परिधियों से आज तक कोई नाविक नहीं गिरा किसी शून्य में
सब चलते रहे
चलने की चाह में हम बार-बार वामन हुए
पृथ्वी भी साथ-साथ चलती रही, उठती रही, बढ़ती रही
कदमताल एक –दो, एक –दो –एक
अंतरिक्ष की गुफ़ा में
धरती एक ठिगना गोरखा.
छुटकारा / अपर्णा भटनागर
by
Leave a Reply