तलाश / अनुलता राज नायर
परेशां हूँ
जाने कहाँ खो सी गयी हूँ…
खोजती हूँ खुद को
यहाँ/वहां/खुद में/तुम में
हैरां हूँ..
तुम्हारे भीतर भी नहीं हूँ?
रात तुम्हारी नींद को भी टटोला….
नहीं!!!
तुम्हारे ख़्वाबों में भी नहीं
आखिर कहाँ गुम हुई मैं, तुम्हें पाने के बाद…
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