बड़ी- बी और अली मियाँ-2 / अनिरुद्ध उमट

बड़ी- बी और अली मियाँ-2 / अनिरुद्ध उमट
बड़ी-बी

बड़ी-बी दरवाज़ा खोलो
तुम्हारा पान
घुँघरू, ख़त लाने में हुई मुझसे देरी बहुत

‘हम नहीं जानते तुम कौन हो

बड़ी-बी हाथ में ख़त लिए
मुँह में पान चबाए
छमछम करती दहलीज पर आ
हैरान थी

‘हमने अपने मरने का दिन तय कर रखा था
हमने समझा वह आ गया है

कहती बड़ी-बी मेरी आँखों में झांक रही थी

‘ठीक है गड्ढा ठीक ही खुदा है

कहती वे उतरीं और एक मुट्ठी मिट्टी
हमें दे गईं

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