अलाव / अनिता मंडा

अलाव / अनिता मंडा
जब भी तुम उदास हुए
तुम्हें हंसने को
एक झूठा सच्चा बहाना खोजा मैंने
न माने कोई इसे
बड़ा आविष्कार तो क्या
बहुत बार जग सुंदर बन गया
इसी बहाने से.

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