समय का तिलिस्म / अदनान कफ़ील दरवेश

समय का तिलिस्म / अदनान कफ़ील दरवेश
समय के हाथ में
एक अद्भुत तिलिस्म होता है
ये जीवितों को मार भी देता है
और मुर्दों को ज़िन्दा भी कर देता है
समय और इतिहास के
आयामों में
चींख़ें,रोदन और नारे
हमेशा गूँजते रहते हैं
अनवरत, लगातार, बारम्बार।

राख हो चुकी ज्वाला में भी
चिंगारी दबी होती है
जो कब, कैसे और किस रूप में
भड़क उट्ठे
कोई नहीं जानता।

समय का तिलिस्म
बहुत ही ख़तरनाक और
रोमांचक होता है
जिसकी पेचीदा गलियों में
मैं
अक्सर भटक जाता हूँ।

जहाँ कुछ भी स्पर्श करता हूँ
तो सजीव हो उठता है
मेरी आँखों में आँखें डालकर
देखने लगतीं हैं
इतिहास के पन्नों पर दर्ज
तारीख़ें
जो मानो जवाब पाने
की ही
प्रतीक्षा में बैठीं हों।

और मेरे पास उनका
कोई जवाब नहीं होता
और फिर यह तिलिस्म
छटने लगता है
और एक अजीब सी-ख़ामोशी
मुझसे लिपट जाती है.

(रचनाकाल: 2016)

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