वह क्या लक्ष्य / अज्ञेय

वह क्या लक्ष्य / अज्ञेय
वह क्या लक्ष्य
जिसे पा कर फिर प्यास रह गयी शेष
बताने की, क्या पाया?
वह कैसा पथ-दर्शक

जो सारा पथ देख
स्वयं फिर आया
और साथ में-आत्म-तोष से भरा-
मान-चित्र लाया!

और वह कैसा राही
कहे कि हाँ, ठहरो, चलता हूँ
इस दोपहरी में भी, पर इतना बतला दो
कितना पैंडा मार
मिलेगी पहली छाया?

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *