क्योंकि मैं / अज्ञेय

क्योंकि मैं / अज्ञेय
क्योंकि मैं
यह नहीं कह सकता
कि मुझे
उस आदमी से कुछ नहीं है
जिसकी आँखों के आगे
उसकी लम्बी भूख से बढ़ी हुई तिल्ली
एक गहरी मटमैली पीली झिल्ली-सी छा गई है,
और जिसे चूंकि चांदनी से कुछ नहीं है,
इसलिए
मैं नहीं कह सकता
कि मुझे चांदनी से कुछ नहीं है।

क्योंकि मैं
उसे जानता हूँ
जिसने पेड़ के पत्ते खाए हैं
और जो उसकी जड़ की लकड़ी भी खा सकता है
क्योंकि उसे जीवन की प्यास है;
क्योंकि वह मुझे प्यारा है
इसलिए मैं पेड़ की जड़ को या लकड़ी को
अनदेखा नहीं करता
बल्कि पत्ती को
प्यार भी करता हूँ करूंगा

क्योंकि जिसने कोड़ा खाया है
वह मेरा भाई है
क्योंकि यों उसकी मार से मैं भी तिलमिला उठा हूँ
इसलिए मैं उसके साथ नहीं चीख़ा-चिल्लाया हूँ :
मैं उस कोड़े को छीन कर तोड़ दूंगा।
मैं इन्सान हूँ और इन्सान वह अपमान नहीं सहता।

क्योंकि जो कोड़ा मारने उठाएगा
वह रोगी है
आत्मघाती है
इसलिए उसे संभालने, सुधारने, राह पर लाने
ख़ुद अपने से बचाने की
जवाबदेही मुझ पर आती है।
मैं उसका पड़ोसी हूँ :
उसके साथ नहीं रहता।

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *