कोई लड़की है रौशनी जैसी / अजय सहाब

कोई लड़की है रौशनी जैसी / अजय सहाब
कोई लड़की है रौशनी जैसी
आंसुओं में छुपी हंसी जैसी

वो जो देखे तो शेर हो जाएँ
उसकी आँखें हैं शाइरी जैसी

दूर तुझसे कहाँ मैं जाऊँगा?
ये मुहब्बत है हथकड़ी जैसी

मेरी हर रात ही दिवाली है
तेरी यादें हैं फुलझड़ी जैसी

सारी दुनिया में कोई चीज़ नहीं
मेरे हमदम की सादगी जैसी

चाल तेरी है ऐसी मस्ताना
एक बहती हुई नदी जैसी

कैसे लम्हों में ख़त्म कर दूँ मैं ?
उसकी बातें हैं इक सदी जैसी

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