लिख सको तो / अखिलेश्वर पांडेय

लिख सको तो / अखिलेश्वर पांडेय
सम्मेलन, महोत्सव, टीवी अखबार
साहित्यिक मनोविलास की बातें तो
‘कलमखोंरों’ को लिखने दो
अगर लिख सको तो..
उन लंबी कतार में लगे लोगों की बातें लिखो
जिनकी आवाज कोई नहीं सुन रहा

सत्य के चेहरे पर कालिख पोत कर
झूठ की पूजा करते
उनलोगों के बारे में लिखो
जो हर आदेश पर फौरन
सिर झुका लेते हैं
‘देशप्रेम’ को प्रायोजित करने वालों का चेहरा बेनकाब करो

निहत्थे व्यक्ति के दिमाग में हो रहे
विस्फोट को समझो और
उनलोगों के बारे में लिखो
जो व्यवस्था से धोखा खाकर
पत्थर और पीपल को पूजते हैं

सच्चाई की ताजी हवा को
मन के खुले खिड़की-दरवाजों से
अपने भीतर आने दो और
उनलोगों के बारे में लिखो
जो न तो पंच पटेल हैं, न सरपंच न प्रधान
न ही कोई अधिकृत व्यक्ति
जिसके हाथ में है अधिकार
फैसला देने का

उलट दो समय रथ के उस पहिये को
जो इंसानियत के सीने से गुजर रहा है और
उनलोगों के बारे में लिखो
जो जुलूस का नेतृत्व करना नहीं जानते
झंडा लेकर चलने का सामर्थ नहीं जिनमें
आक्रोश से भरी हुई
बेरोजगार, दिशाहीन पीढी के बारे में लिखो
जिसकी नाक में नकेल डालकर
पालतू बनाने की राजनीतिक कोशिश हो रही है

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *