शब्दों की खनक / अंशु हर्ष

शब्दों की खनक / अंशु हर्ष
जब मैं तलाशती हूँ
तुम्हारी खामोशी
और मेरी बातों के मायने
कल एक घुंघरू की झंकार
का ख़्याल मन में आ गया
वैसे ही तो तुम
उस घुंघरू के दाने जैसे
जिस दिन
मन के खोल से निकल जाओगे
शब्द खनखना छोड़ देंगे।

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *